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ये सभी 19 MLC की विधानपरिषद की सदस्यता मात्र 48 घंटे में हो जाएगी समाप्त
लेकिन, पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक करीब 95 प्रतिशत है। ऐसे में बिना पंचायत प्रतिनिधियों के वोट के चुनाव संभव नहीं था। लिहाजा, जबतक पंचायत का चुनाव नहीं होगा, विधान परिषद की इन 24 सीटों पर भी चुनाव नहीं हो पाएगा
जे.पी चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: बिहार में अगले 48 घंटे में विधानपरिषद के एक तिहाई सदस्यों की संख्या खाली हो जाएगी । अभी विधानपरिषद के 75 सीट हैं जिसमें 19 एमएलसी की सदस्यता 48 घंटे में चली जाएगी । इसके अलावा पहले से भी 7 सदस्यों की सीट खाली पड़ी है। बता दें की 19 एमएलसी का कार्यकाल आगामी 17 जुलाई को समाप्त हो रहा है। चुकी बिहार में पंचायत चुनाव समय पर नहीं हुए इसलिए इनके आधार पर होनेवाले विधानपरिषद का चुनाव भी स्वतः टल गया ।
दरअसल विधान परिषद के रिक्त हुए सीटों में एक विधानसभा कोटे से तथा 24 सदस्य स्थानीय निकायों से चुनकर आते हैं। 24 विधान पार्षद के चुनाव में जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत के मुखिया और सदस्यों के अलावा नगर निगम, नगर परिषद और कंटोनमेंट बोर्ड के सदस्य भी वोटर होते हैं।
लेकिन, पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक करीब 95 प्रतिशत है। ऐसे में बिना पंचायत प्रतिनिधियों के वोट के चुनाव संभव नहीं था। लिहाजा, जबतक पंचायत का चुनाव नहीं होगा, विधान परिषद की इन 24 सीटों पर भी चुनाव नहीं हो पाएगा। बताया गया कि स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले तीन विधान पार्षद विधायक बन चुके हैं। दो का निधन हो चुका है। ऐसे में पहले से 5 स्थान रिक्त है।
आपको बता दें कि स्थानीय निकाय से चुन कर आने वाले इन 24 विधान पार्षद के चुनाव में जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत के मुखिया और सदस्यों के अलावा नगर निगम, नगर परिषद और कंटोनमेंट बोर्ड के सदस्य भी वोटर होते हैं। लेकिन, पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक करीब 95 प्रतिशत है। ऐसे में बिना पंचायत प्रतिनिधियों के वोट के चुनाव संभव नहीं था। लिहाजा, जबतक पंचायत का चुनाव नहीं होगा, विधान परिषद की इन 24 सीटों पर भी चुनाव नहीं हो पाएगा। स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले तीन विधान पार्षद विधायक बन चुके हैं। दो का निधन हो चुका है। ऐसे में पहले से 5 स्थान रिक्त है।
नियमानुसार इनमें से 8-8 सदस्यों को दो-दो वर्षों पर रिटायर होना था और दो-दो वर्षों पर ही 8-8 सदस्यों का चुनाव होना था। लेकिन लंबे समय से स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं होने के कारण पिछली बार जब 24 सदस्यों का निर्वाचन हुआ तो सबको 6-6 वर्षों के लिए चुन लिया गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। तत्कालीन विधान पार्षद वैद्यनाथ प्रसाद ने रिट दायर किया और सदस्यों के कार्यकाल का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने उनकी बातों को सुना और चुनाव आयोग को कहा कि वह कोर्ट को संतुष्ट करे कि संविधान के प्रावधान के अनुरूप चुनाव हो रहे हैं या नहीं? कोर्ट ने चुनाव का ब्लूप्रिंट भी मांगा। पर, कोई कार्ययोजना थी ही नहीं। लिहाजा, मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया। जिस पर कोई फैसला नहीं हो सका है और इधर उनका कार्यकाल पूरा हो गया।
वहीं जिन विधानपरिषद के सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनके नाम रीना देवी , संतोष कुमार सिंह, मनोरमा देवी , राधाचरण साह, दिलीप जायसवाल, संजय प्रसाद, अशोक अग्रवाल, नूतन सिंह, सुमन कुमार, आदित्य नारायण पांडेय और रजनीश कुमार,सच्चिदानंद राय, टुन्नाजी पांडेय, बबलू गुप्ता, दिनेश प्रसाद सिंह, सुबोध कुमार, राजेश राम, सलमान रागीब, राजन कुमार सिंह शामिल हैं ।