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जे.पी.चन्द्रा की रिपोर्ट
बिहार नेशन: जल्द ही किसानों को बाढ़ और भारी बारिश से हुए फसल नुकसान का मुआवजा उनके खातों में ट्रांसफर की जाएगी। अब इसमें देरी करने वाले अधिकारीयों की क्लास लग जाएगी। खरीफ फसल 2021-22 में देरी करने वाले अधिकारी कृषि विभाग के रडार पर आ गये हैं। कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यालय के स्तर पर लाखों मामलों के लंबित होने के लिए तकनीकी कारणों के साथ- साथ अधिकारियों की लापरवाही को भी जिम्मेदार माना है। कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार को बताया कि 10 दिनों के अंदर कृषि इनपुट अनुदान का पैसा किसानों के खाते में पहुंचा दिया जायेगा।
फसल क्षतिपूर्ति का पैसा 15 फरवरी तक पात्र किसानों के खाते में ट्रांसफर सुनिश्चित करने के आदेश दिये गये हैं। उनका कहना था कि कुछ दिन पहले हमने इसकी समीक्षा की थी।इसके बाद तेजी आयी है. भुगतान में देरी के पीछे कुछ तकनीकी कारण हैं, लेकिन कुछ लापरवाही भी हुई है। लापरवाह अधिकारी हमारे निशाने पर हैं। ऐसे अफसरों को चेतावनी दे दी गयी है।
बिहार में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण तीस जिलों की 3229 पंचायतों में फसल क्षति तथा 17 जिलों की 2131 पंचायतों में परती भूमि रह जान के लिए करीब 998.11 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की जानी है। इसके लिए 22 लाख 27 हजार 28 किसानों ने आवेदन किया था। अभी तक आठ लाख 62 हजार 592 के बैंक खाते में पैसा पहुंचा है।तीन फरवरी तक राज्य में चार लाख 57 हजार आवेदन जिला कृषि पदाधिकारी, एडीएम और कृषि मुख्यालय पर लंबित हैं। इनमें साढ़े तीन लाख से अधिक आवेदन कृषि मुख्यालय पर लंबित हैं।
किस खेत के लिए कितना भुगतान
• – शाश्वत फसल गन्ना सहित 18000 रुपये प्रति हेक्टेयर
• – असंचित फसल क्षेत्र के लिए 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर
• – संचित फसल क्षेत्र के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर
• – परती भूमि की क्षतिपूर्ति के लिए 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर